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‘SABKO ZAROORAT HAI’

Sylvia Hartmann’s poem translated by the name ‘SABKO ZAROORAT HAI’ in hindi by Jinvaniputra kshullak shri Dhyansagar ji maharaj

On this Friendship day here is the song which brings out true essence of friendship.

सबको जरूरत हैं
इंसान् इंसान् है इस कारण ऐसे इंसान् को चाहे; जो न जिंदगी की मुश्किल में छोड़ हमें बदले राहें;

सदा जिसे हम अपना माने सदा हमें जो अपनाए; मरते दम तक साथ निभाए; सबकुछ भले बिखर जाए;

जैसे है हम वैसे ही जो शर्त बिना स्वीकार करे; कभी नही जो हमें टटोले; और हमीसे प्यार करें;

माफ़ करें जो भूल चुंक सब जाने हो या अंजाने; हो निराश जो कभी न हमसे; हमको दिलसे पेहेचाने।


डगमग हो जब जीवन नैया हमें थामकर सहलाए; पाँव लडखडाए जब अपने तभी सहारा बन जाए;

काबिल है हम जितना उतना करने को जो उकसाए; पीठ थपथपाएमौके पर जिसका प्रेम हमें भाए;

जोश बढ़ाये सदा हमारा चाहे दुनिया ठुकराए; देख हमारी जरा तरक्की खुश होकर जो मुस्काए;

रूप जवानी दौलत रिश्वत जिसको कभी न बेहेकाए; जो इन सबके आकर्षण को छोड़ हमीको अपनाए।


सिर्फ एक इंसां है ऐसा आज यहाँ पर सच मानों; जो राजी है सबकुछ करने; हो पाए तो पेहेचानों;

देखो दिल की आँख खोलकर; उसकी छवि कैसी न्यारी; और नहीं वह सीवा हमारे हो जाए खुद से यारी...

हो जाए खुद से यारी....हो जाए खुदसे यारी ॥

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