जगद्गुरु कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकिर्ती भट्टारक स्वामीजी द्वारा वात्सल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागरजी महाराज एवं समस्त आचार्य, मुनि तथा आर्यिका संघों के सानिध्य में आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य जिनवाणी पुत्र श्री ध्यानसागरजी महाराज “जैन श्रुतज्ञान कोश” प्रशस्ति से समलंकृत २३ नवम्बर २०१८, श्रवणबेलगोला